तनहाई।

ये तन्हाई उस वक़्त समझ आयी 
जब जब मेरी रूह खुद को अकेला पाई 
मैंने समझी इस बात की गहराई
ज़ुबान से ये मुख एक बात भी ना कह पाए
कितनी खल गई इसको यह तन्हाई
हर वक़्त हमारी सोच टकरायी
और रह गई तो सिर्फ़ रुसवाई
करी तो है सिर्फ़ तुमने बेवफ़ाई
यह बात सोच मैं मन ही मन मुस्कराई
जो प्यार के वादे किया करता था वो तो निकला हरजाई
हस्ते हस्ते मेरी दोनो आंखें भर आयी 
जिस प्यार की सौसौ कसमें हमने थी खायी
फ़रेब करके जो तुमने सारी भुलायीं
फिर क्यों लादी तुमने मेरी ज़िंदगी में इतनी तन्हाई
क्या मैं तुम्हें वो प्यार ना दे पायी 
अब मेरे दिल में बसी रह गई है हमारे अतीत की परछाई


और कश्माकश भरे इस मंच में दिमाग़ ओर दिल की हो रही है लड़ाई।

Comments

Popular posts from this blog

A feeling

Cosy Space Lover