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Illusion Perhaps..

  Sometimes your body and soul just feels in two different places at one time. Both move freely in different dimensions in a parallel world,  both in their own mood and your mind just go blank, you feel something but can’t express it, its more like being at ease. This feeling could last for a very brief period because your mind catches the practicality of that thought instantly.  When you think about all the possibilities this world could offer, your heart prays secretly for something to get true, so that would put your anxiety away for at least a nano second.  You want to find all the unanswered, unambiguous series of unnatural thoughts which could sound lame in this world but be totally valid on the other. (hypothetically speaking)  Can our body and soul actually function separately? It’s just in our heart that soul exists or maybe it’s our mind making us believe in something which is not proven yet.  How do you feel when you have not been touched by other human being in a very long

मौक़ा

दूसरे   मौक़े   माँगे   उन्होंने , मनाके   हमको   रोज़   रोज़   । कहा   करते   हैं   शुरुआत   नयी , बना   लो   हमें   अपना   दोस्त   । यक़ीन   माना   उनपे   दे   दिया   एक   नया   मौक़ा , सोचा   जेसे   हर   बार   होता   है   वैसा   इस   बार   नहीं   होगा   । देखा   है   मैंने   दूसरा   मौक़ा   देने   जा   अंजाम , उन   लोगों   पर   विश्वास   करके   अपनी   रूह   को   किया   है   बदनाम   ।

अल्पकालिकता

कम   समय   ही   सही  ,  महत्वपूर्ण   घंटे   दे   गए   । वो   विचार   जो   दस   मास   में   ना   आये , एक   दिन   में   उत्पन्न   हो   गए   । तुमहे   मिलना   हसरत   नहीं   थी   मेरी , और   ना   ही   कोई   इबादत। ये   शब्दों   की   अदला - बदली   का   ही   कमाल   था , वरना   बातों   की   पिटोरी   लिए   ना   जाने   कितने   शख्स   घूमा   करते   हैं   । आकर्षित   हम   नहीं ,  हमारे   मन   हुए , भावनाओं   को   समझने   वाले   उन   लाखों   में   एक   तुम   ही   तो   थे , जिसने   एक   मुलाक़ात   में   मेरे   सोचने   के   मायने   बदल   दिए   । रूप - रंग   से   ज़्यादा   आकर्षित   थी   तुम्हारी   सोच , इसलिए   हर   शब्द   मुझे   मोहित   कर   रहे   थे   । हो   सकता   है   हमारे   समझने   की   प्रक्रिया   अलग   हो , पर   शायद   कानो   में   जा   रही   वह   नयी   बातें   मेरे   मस्तिष्क   को   सोचने   पर   मजबूर   कर   रही   थी   ।   जिस   मानसिकता   के   कारण   मैंने   खुद   को   इन   रिश्तों   के   बंधन   से   वंचित   रखा , अब   समय   आ   गया   था   उस   बंधन   को

Not My First

Don’t feel so important  Because It was easy to detach myself from you. You were not in the list people call the “firsts”  Ain’t my first conversation  Ain’t my first video call  Not the first kiss Not the first one I got laid with  And definitely not the first someone to leave me and go !!

भाव : रावण

शिव का दिया वरदान तो खुद शिव भी नहीं तोड़ सकते, तो रावण को तो अमर होना ही था । ग़लत बतायी गयी है इतिहास में कहानी, वरना जो रावण को समझ लेता, वो उसे मिले हुए उस वरदान की बारीकियों को भी समझ जाता । भगवद गीता में कहते हैं कि, रूह विराम ले ले कर अपनी लंबी यात्रा की समाप्ति करती है । और शरीर उस यात्रा में मात्र कुछ छन व्यतीत करने वाले विश्रामालय का दायित्व निभाता है ।  रूह का कर्तव्य है यह यात्रा करना,  क्यूँकि इसी यात्रा में उसे अपने अंतिम गंतव्य तक पहुँचना होता  है ।  और इसी वजह से मनुष्य का शरीर केवल एक साधन है सही मार्ग पकड़ने का ।  इस सफ़र में रूह की लड़ाई उन जागरूक होने वालीं भावनाओं से हैं जो मोक्ष प्राप्ति की प्रक्रिया में बाधा बनती है ।  रूह को शरीर की ज़रूरत तब तक है जब तक वो अपने सारे भाव को त्याग कर खुद में लीन होकर ईश्वर में विलीन ना हो जाए।।  रावण भले ही दशानन बताया गया हो,  किंतु वो है अनेक । वह एक असुर के रूप में नहीं एक भाव के रूप में अमर है । वह क्रोध और अहंकार के भाव में हर रूह पर शासन करता है । शायद इसीलिए कलियुग में मोक्ष प्राप्ति का

निस्तब्धता.

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अंधकार   से   मित्रता   थी   मेरी , इसीलिए   पूर्णिमा   की   वो   हसीन   शाम   का   संदेश   समय   से   पहले   मिल   गया। उन   काले   बादलों   को   रोशनी   देता   हुआ   मेरा   काँच   का   ग्लास   मानो   चाँद   का   काम   कर   रहा   था , इसीलिए   शबाब   के   रहते   शराब   का   चयन   करना   उचित   लगा   मुझे।   साँझ   का   समय   खिड़की   से   चंद्रमा   को   ताकने   में   निकल   रहा   ही   था   के ,  ग्लास   में   रखी   वह   मनोज्ञ   अंगूरी   मदिरा   ने   मुझे   मोहित   कर   दिया।   ठंडी   हवा   के   झोंके   सुधबुध   होश   गवाने   पर   मजबूर   कर   रहे   थे , और   मेरा   मदहोश   मन   तारों   की   अनुपस्थिति   से   निराश   हो   रहा   था   । काफ़ी   गंभीर   ख़याल   में   खो   गयी   थी   उस   शाम ,  वरना   साधारण   स्तिथि   में   एसे   विचार   अक्सर   बेतुखे   लगते   हैं   ।   दोष   नशे   का   नहीं ,  उस   पार   मौजूद   वह   दृश्य   का   था , जिसका   प्रदर्शन   तो   पूरी   कायनात   भी   ना   कर   पाती   । मेरी   बंज़ारी   रूह   उस   वातावरण   में   एसी   सम्म

Habit

No you didn't love her the right way, You just kept regretting it later on. The next girl who came your way,  Would often ask about ever falling in love before? To which you would always answer uniquely, Something like "someone was in love with me to whom I never loved back.” And this honesty of yours would make this girl fall in love with you! Such an easy way of attracting someone, it sure is a great pickup line! Being intense and insensitive at the same time!!