जज़्बात

कभी कभी शरीरिकता ज़रूरी नहीं होती 
होता है तो सिर्फ़ धड़कनो से धड़कनो का अहसास
वो महसूस होना जो किसी से लिपट्टे वक़्त नहीं हुआ 
वो महसूस होना जो किसी के स्पर्श से नहीं हुआ 
क्या ख़ास है इस अहसास में 
ओर क्या ख़ास है तुम्हारी बात में
जो ये मन हर समय बस तुम्हें सोचता रहता है 
इतने दिन बिना देखे भी बस इसी आस में ख़ुश होता रहता है 
के कल की सुबह तुम्हारी ख़बर के इंतज़ार में निकालेंगे
और आज तुम पक्के में हमको याद करोगे यही कहके अपने दिल को संभालेंगे। 


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