नशे की आदत नहीं थी मुझे ।
नशे की आदत नहीं थी मुझे यूँ कह लो के सबके साथ वक़्त बिताने का बहाना उस तरह यह सिलसिला जारी हुआ वे दो पल के लिए ज़िंदगी भर का बोझ उठा लिया मैंने और काश व काश समय बीतता गया ओर रह गया तो सिर्फ़ ओर सिर्फ़ घनघोर धुआँ एसी तलब लगा के गया है यह बीतता हुआ पल के इस झोंकें से बाहर निकलने में कष्ट होता है इस शांत और धीमी स्थिति में ही बसा जाने का मन करता है फिर भी नशे की आदत नहीं थी मुझे बस कहीं ना कहीं यह दौर भी कुछ सिखाने आया था कुछ बताने आया था वरना पल तो बिना कशों के भी निकल सकते थे।